नवीन कुमार नंदन @NkNandanLive
लखनऊ: इस वक्त चुनावी बयार यूपी में बहुत तेजी के साथ बह रही है. आरोप- प्रत्यारोप का दौर भी सुचारू रूप से जारी है. बीजेपी 350+ सीट लाने की बात कह रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी ओमप्रकाश राजभर जैसे सहयोगियों के साथ 400 सीटों पर जीत दर्ज करने का दम भर रही है. इससे इतर बहुजन समाज पार्टी भी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की बात कह रही है. मायावती अलग- अलग जिलों में रैलियां कर रही है औऱ उन रैलियों में बंपर भीड़ जुट रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव विजय रथ पर सवार होकर पूरे उत्तर प्रदेश में घूम रहे हैं और यही संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी सपा सरकार में कराए गए कामों का फीता काटने में जुटी हुई है. औऱ झूठ बोलने की राजनीति करती है. तो बीजेपी भी पीछे नहीं है.
बीजेपी वाले बसपा पर कम लेकिन समाजवादी पार्टी पर ज्यादा हमला बोल रहे हैं. मायावती चुप हैं तो इससे दिल्ली वाली दीदी प्रियंका गांधी के पेट में ज्यादा दर्द हो रहा है कि लखनऊ की बहन जी क्यों चुप हैं. इन सबके बाद भी पूरे यूपी वालों के मन में एक ही सवाल यही है कि आखिरकार इस बार आ कौन रहा है? हर कोई अपना- अपना मॉडल पेश कर रहा है. अखिलेश भइया बीजेपी की भाषा में कहें तो ‘बबुआ’ सिर्फ टीवी और सोशल मीडिया के जरिए माहौल बनाने में जुटी हुई है. बीजेपी से समाजवादी पार्टी की सीधी टक्कर होगी. बीजेपी कह रही है यूपी में योगी की लहर है सपा दूर- दूर तक नहीं दिखाई दे रही है. लेकिन सच ये भी है कि मायावती के मतदाता अभी शांत बैठे हैं. मायावती अपने मतदाताओं को लेकर निश्चिंत है और नए मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश बसपा लगातार कर रही है. अगर विकास के नाम पर वोट पड़ता तो सपा की 2017 में बुरी तरीके से हार नहीं होती. अखिलेश यादव विकास की कितनी भी बात कर लें लेकिन सच्चाई अखिलेश को भी पता है यूपी में विकास के नाम पर वोट नहीं पड़ता. यहां मंदिर और मस्जिद के नाम पर वोट पड़ता है तभी उनके सपने में भगवान कृष्ण आते हैं और वे ‘एमवाई’ फैक्टर पर काम करने में जुटे हैं.
अखिलेश के सपने में भगवान तो आ रहे हैं इससे बीजेपी का ही नुकसान होगा. और बीजेपी का वोट सपा को मिलेगा लेकिन सपा उस स्थिति में नहीं होगी कि सपा सरकार बना सके. और बीजेपी का वोट सपा काटेगी तो वोटों का बंटवारा होगा और इससे मायावती को सीधा फायदा होगा लेकिन सच ये भी है कि मायावती भी अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि वो 2007 वाली स्थिति में आ सकें. लेकिन इतना जरूर है कि मायावती को अगर बीजेपी समर्थन देती है तो मायावती बीजेपी के समर्थन से यूपी की मुख्यमंत्री बन सकती हैं. क्योंकि बीजेपी साफ कह रही है उनका वोट काटने वाला कोई है तो सामने आ जाओ. सपा कह रही है कि हम सिर्फ पश्चिमी यूपी में आरएलडी के सहयोग से कुछ वोट काट पाएंगे लेकिन आपको पूर्ण बहुमत नहीं लाने देंगे. बीजेपी जिन- जिन कामों को किया है उन कामों पर वोट कम मांग करके बल्कि यूपी की जनता को फिर से नए सपने दिखाने में जुटी है. वैसे भी यूपी का इतिहास रहा है कि यूपी में किसी की भी दुबारा सरकार नहीं बनती.